Thursday, April 3, 2008

लीजिए एक और दिन जी लिए जैसा लोग हम से चाहते थे, पर अब यह सोचने लगे हैं की कब तक क्या एक दिन ऐसा नही होगा जब अपनी मर्जी रह पाएंगे किय्ने लोग ऐसा सोचते हैं कोई बताएं

प्रतिष्ठा

हम अकेले नहीं थे। हमारे साथ एक साईकिल थी जिसे हाथ में लिए हम कॉलेज से निकल रहे थे। और हवा को वो हिस्सा भी जो उसके दुप्पटे को मेरे हाथ पर ला ...