Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इन दिनों जब कुछ नहीं हैं!
मुझसे कुछ भी नहीं हो पाया जैसे सब कुछ होते हुए भी कुछ हाथ नहीं आया। बड़ी गहराइयों से देखे तो बड़ा ज्ञान रहा, दोस्त थे, शहर था, सब कुछ ठीक ...
-
`और क्या..` फिर मौन.. शब्द गले में अटके। उन भावों को गला स्वर भी नहीं दे पाता। चुप में सबकुछ था, जो शब्द में कहीं नहीं था। फिर जैसे शब्दों ...
-
मुझसे कुछ भी नहीं हो पाया जैसे सब कुछ होते हुए भी कुछ हाथ नहीं आया। बड़ी गहराइयों से देखे तो बड़ा ज्ञान रहा, दोस्त थे, शहर था, सब कुछ ठीक ...
-
तुमः 1 तुम क्यों चले आते हो सच में, तुम स्वप्न में ही अच्छे लगते हो, कम से कम मेरा कहना तो मानते हो। तुमः २ तुम्हे भूल जाना दिल पर पत्थर रखन...
1 comment:
bahut achcha hain bhai
Post a Comment