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प्रतिष्ठा
हम अकेले नहीं थे। हमारे साथ एक साईकिल थी जिसे हाथ में लिए हम कॉलेज से निकल रहे थे। और हवा को वो हिस्सा भी जो उसके दुप्पटे को मेरे हाथ पर ला ...
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हम अकेले नहीं थे। हमारे साथ एक साईकिल थी जिसे हाथ में लिए हम कॉलेज से निकल रहे थे। और हवा को वो हिस्सा भी जो उसके दुप्पटे को मेरे हाथ पर ला ...
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हर शाम बनता सँवरता है मौसम, शायद अंतहीन इंतजार करता है मौसम। किसी को पानी की तमन्ना किसी को भीगने का गम, हर किसी को कहाँ खुश करता है ...
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इंतजार यदि उसका होता तो उसके आने पर खत्म हो जाता। लेकिन यह इंतजार तो उसमें अपने लिए प्यार आने का है। कितना त्रासद है..वो सामने हो लेकिन वैस...
1 comment:
bahut achcha hain bhai
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