Saturday, May 30, 2009

उसने कहा था


उसने कहा मुझे दो-तीन दिन से एक बात कहना थी। एक योजना है आज से चालीस-पचास साल बाद जब तुम्हारी वो गुजर जाए और मेरे यह भी मान लो नहीं रहे, तो हम साथ रह लेंगें? जब हमें कोई रोकेगा भी नहीं, मेरे बच्चे के भी बच्चे हों चुके होंगे और तुम्हारे बच्चे भी सेटल हो जाएँगे। कैसा रहेगा बताओ? मैं अत्यंत खुश और बोला चलो कम से कम अंत तो भला होगा। पर मैं उस वक्त कर क्या पाउँगा। उसने कहा करना तो तुम्हे कुछ भी नहीं हैं, बस साथ-साथ मरेंगे। कम से कम अकेले रहे हैं तो साथ-साथ मर तो लें। मैने कहा तुम अभी अपने उसको मत मार देना खैर मेरी तो अभी कोई है ही नहीं। नहीं-नहीं हम पूरी कोशिश करेंगे उन्हें बचाने की पर मान लो हुआ ही तो क्या साथ रहोगे? मैं आखिर जीवन में दूसरी बार उस विवाह प्रस्ताव को कैसे इंकार करता। वही खनकदार हँसी आई उसे अपने ही इस सोचे पर। मैं भी सोचता रहा एक भरे पूरे परिवार के साथ रहने और सबकुछ बढ़िया होने के बावजूद मेरे साथ पाने के लिए उनके गुजरने जाने की कल्पना कैसे की होगी। यह कहते हुए वो कैसी दिख रही होगी, क्या वैसे ही जब उसने उन सूखते हुए कपड़ों पर सिर रखते हुए कहा था- कर लो जो करना है....क्या वहीं लालिमा होगी? खैर फोन पर बात थी खत्म हो गई। मुझे भरोसा नहीं होता आए दिन मुझे अपनी शादी का वास्ता देकर रोक देने वाली अचानक यह सोचे। क्या प्यार खत्म नहीं होता। हमारे यह जानने के बाद भी की सबकुछ गलत है, फिर भी कोई तीसरी शक्ति हमारे संस्कार, नैतिकता, बुद्धी को खत्म कर देती है। क्या हम कुछ भी सोच नहीं पाते और स्वतः वह बोले जाते हैं जो चाहते हैं। दिनभर यह सोचते सोचते रात हो गई लगता मेरी गलती है, जो किसी को छोड़ नहीं पाया. पर कैसा छोड़ा जा सकता था क्या साँस लेना छोड़ देते।......कभी कभी लगता है आप कुछ सोचने में भी कोई हल नहीं निकाल सकते ...हम इस तरह की चीजों को वक्त पर छोड़ देते हैं, हो जाए जो होना है।

7 comments:

Unknown said...

pyaar zindgi ka zevar hai
_______iske kai tevar hain

yah rang bhi achha laga
BADHAI!

Unknown said...

उफ़...
बेहतर मानसिक कसमसाहट...

सुस्वागतम्......

रवि कुमार, रावतभाटा said...

शुभकामनाएं.....

Deepak "बेदिल" said...

usne kaha tha...kuch alag hi kadhan..apni or khichta hai.waah or bhi likhe intjaar hai ...thnxx.
deepak

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

pyar matlab,tyag. narayan narayan

hindi-nikash.blogspot.com said...

आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नये अर्थ, नयी ऊंचाइयां एयर नयी ऊर्जा मिले जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का सार्थक माध्यम बन सकें.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें-
http://www.hindi-nikash.blogspot.com

सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
mobile : 09425800818

monika said...

bahut khub... issi tarah apne bhavnaao ko udela karo. dil ko chu gaya

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